अंकिता भंडारी हत्याकांड पर विचार-विमर्श,'देवपथ'के संपादक डॉ.वी.डी.शर्मा सम्मानित
अंकिता भंडारी हत्याकांड पर विचार-विमर्श,'देवपथ'के संपादक डॉ.वी.डी.शर्मा सम्मानित
(R.B) News Desk
देहरादून,18 जून। स्थित स्मार्ट दून लाइब्रेरी में मानव अधिकार संरक्षण केंद्र द्वारा "अंकिता भंडारी हत्याकांड: निष्पक्ष जाँच से न्याय तक" विषयक विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में न्याय,मानवाधिकार,मीडिया की भूमिका और नए कानूनी बदलावों को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति राजेश टंडन (पीठासीन सदस्य,नैनीताल हाईकोर्ट दैनिक लोक अदालत) ने भारतीय दंड संहिता (IPC),भारतीय न्याय संहिता (BNS) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम में हुए संशोधनों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।उन्होंने कहा कि इन विधिक सुधारों के चलते ही अंकिता भंडारी हत्याकांड जैसे मामलों में निष्पक्ष व निर्भीक जाँच सुनिश्चित हो सकी,और न्याय प्रणाली में पारदर्शिता बनी रही।न्यायमूर्ति टंडन ने कहा,“परिस्थितिजन्य व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य इतने सशक्त थे कि उन्हें नजरअंदाज करना संभव नहीं था।जाँच की प्रक्रिया मीडिया और समाज द्वारा निरंतर देखी जा रही थी,जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास बना।”इस अवसर पर पत्रकार व दैनिक समाचार पत्र ‘देवपथ’ के संपादक डॉ. वी.डी.शर्मा (वीरेन्द्र दत्त शर्मा) को न्यायमूर्ति टंडन द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें समाज के प्रति निष्ठावान पत्रकारिता और मानवाधिकार के संरक्षण हेतु समर्पित कार्यों के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया।कार्यक्रम में उन्हें स्नेहपूर्वक “आदरणीय चाचाजी” कहकर संबोधित किया गया।कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड ने पूरे समाज को झकझोर दिया था,और यह आवश्यक था कि ऐसे मामलों में न्याय की प्रक्रिया तेज,निष्पक्ष और पारदर्शी हो — जिसमें मीडिया और कानूनी सुधारों की बड़ी भूमिका रही।इस अवसर पर अनेक कानून विशेषज्ञ,सामाजिक कार्यकर्ता,पत्रकार एवं नागरिकगण उपस्थित रहे।सभी ने न्याय व्यवस्था की मजबूती एवं मानवाधिकारों की रक्षा पर अपने विचार साझा किए।